मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की ओर से अजमेर दरगाह शरीफ में विशेष चादर पेश की गई
रायपुर/अजमेर। अजमेर शरीफ दरगाह में हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती (रह.) का 814वां उर्स मुबारक हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर दरगाह और आसपास के इलाकों में सूफियाना कलाम की गूंज सुनाई दे रही है। देश और विदेश से आने वाले हजारों जायरीन प्रतिदिन मखमली चादर पेश कर ख्वाजा गरीब नवाज़ की दरगाह पर अपनी श्रद्धा अर्पित कर रहे हैं। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष एवं कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त डॉ. सलीम राज ने आज छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय जी की ओर से दरगाह शरीफ में विशेष चादर पेश की। मुख्यमंत्री श्री साय ने अपने प्रतिनिधि के रूप में डॉ. राज को मुख्यमंत्री निवास में यह चादर सौंपी थी। चादरपोशी के दौरान डॉ. राज ने छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश की खुशहाली, अमन-चैन और भाईचारे की दुआ मांगी। डॉ. सलीम राज ने इस अवसर पर कहा कि अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर पेश करना एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है। इसे श्रद्धा, सम्मान और मन्नत का प्रतीक माना जाता है। उन्होंने बताया कि यह रस्म सूफी परंपरा का हिस्सा है और इसका उद्देश्य हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (रह.) के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करना होता है। उर्स के दौरान दरगाह पर विशेष चादर चढ़ाई जाती है, जो इस आयोजन का मुख्य हिस्सा होता है। इसे प्रेम और सम्मान की अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाता है और इसमें बड़ी संख्या में लोग भाग लेते हैं। अजमेर शरीफ का उर्स केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता और भाईचारे का भी प्रतीक है। यहां हर वर्ग, हर धर्म और हर क्षेत्र से लोग शामिल होते हैं और ख्वाजा साहब की शिक्षाओं से प्रेरणा लेते हैं। उनकी दरगाह पर चादर चढ़ाना इस बात का प्रतीक है कि इंसानियत सबसे ऊपर है और प्रेम, करुणा तथा सेवा ही जीवन का वास्तविक मार्ग है। डॉ. राज ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने हमेशा “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास” के मंत्र के साथ सामाजिक सद्भाव और भाईचारे को बढ़ावा दिया है। अजमेर शरीफ का यह उर्स उसी भावना को और सशक्त करता है। छत्तीसगढ़ से मुख्यमंत्री की ओर से पेश की गई चादर इस बात का संदेश देती है कि प्रदेश की जनता भी इस सूफी परंपरा और भाईचारे की भावना से जुड़ी हुई है। यह आयोजन न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि प्रदेश और देश की सामाजिक-सांस्कृतिक एकता को भी मजबूत करता है। इस प्रकार, अजमेर शरीफ का 814वां उर्स मुबारक श्रद्धा, प्रेम और भाईचारे का उत्सव बनकर देश-विदेश के लाखों जायरीनों को एक सूत्र में बांध रहा है। ख्वाजा गरीब नवाज़ की दरगाह पर पेश की गई चादर प्रदेश की ओर से आस्था और सम्मान का प्रतीक है, जो आने वाली पीढ़ियों को भी इंसानियत और सद्भाव का संदेश देती रहेगी।

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