ब्रिटेन में अवैध रूप से रह रहे भारतीयों को वापस भेजना चाहते हैं बोरिस जॉनसन!
News: हम जैसे भारत मे रोजगार की तलाश में आए लोगों को घुसपैठिया कहते हैं, वैसे ही यदि भारत से कोई व्यक्ति बिना कागजात के यूरोप-अमेरिका रोजगार की तलाश में जाता है तो हम उसे ‘अवैध प्रवासी’ कहते हैं।
2012 में पता चला कि अमेरिका में भारत के 4.5 लाख से ज्यादा प्रवासी अवैध रूप से रह रहे हैं। फर्ज कीजिए कि अमेरिका में भी NRC जैसे कानून के तहत घुसपैठियों को बाहर करने की मुहिम चलाई जाए और अचानक अमेरिकी सरकार CAA जैसा कानून बना दे, कि हम ईसाइयों को तो नागरिकता दे देंगे। लेकिन अन्य धर्मावलंबियों को बाहर जाना होगा, तो यकीन मानिए अवैध प्रवासी तुरंत बपतिस्मा करवा लेंगे और हिन्दू धर्म की आबादी में बड़ी कमी आ जाएगी।
यह तो एक हाइपोथेटिकल सिचुएशन है, अब इसी से जुड़ी एक तथ्यात्मक बात भी जान लीजिए।
जनवरी 2018 में ब्रिटेन दौरे पर पहुंचे भारत के गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने और ब्रिटेन की मंत्री कैरोलिन नोकस ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत ब्रिटेन में गैर कानूनी रूप से रह रहे भारतीयों की वापसी को सुनिश्चित किया जाना था। ब्रिटेन इस पर काफी जोर दे रहा था, समझौता फाइनल ही था, बस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीं के हस्ताक्षर होने बाकी थे।
कुछ महीने बाद नरेंद्र मोदी ब्रिटेन दौरे पर पुहंचे ओर ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे और मोदी जी के बीच भारत और ब्रिटेन से जुड़े हुए द्विपक्षीय मुद्दों पर 20 से ज़्यादा समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। लेकिन इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से उन्होंने ऐन वक़्त पर इंकार कर दिया।
ब्रिटेन समेत पूरे यूरोप में आज भी क़रीब 40 हजार भारतीय अवैध रूप से रह रहे हैं। ब्रिटिश सरकार का कहना है कि इन लोगों को तुरंत भारत भेजने की ज़रूरत है। यदि यह समझौता हो जाता तो अगले 15 दिनों के अंदर यह तथाकथित घुसपैठिए भारत वापस भेज दिए जाते।
ब्रिटेन भारत की इस वादाखिलाफी से इतना नाराज हुआ कि उसने तुरंत आसान नियमों के तहत वीज़ा पाने वाले देशों की सूची से भारत को बाहर कर दिया। इसका सबसे बड़ा नुकसान भारतीय छात्रों को झेलना पड़ा, जो ब्रिटेन के शीर्ष विश्वविद्यालयों में जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे।
ऐसी खबरें आ रही है, कि ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अब एक बार फिर से यह मुद्दा उठा रहे हैं। समझने की बात यह है कि जैसा माहौल आज देश मे बनाया जा रहा है। वैसा ही माहौल यदि शेष विश्व मे बन जाए तो सबसे ज्यादा प्रभावित भारतीय समुदाय ही होगा।
Nice statement
ReplyDeletehy
Delete7735240520
ReplyDeleteNariyapraska5@gmil.com
ReplyDeleteMy name rahul bharti 7023315687
ReplyDeleteColl mi 9769617511
ReplyDeletemu jhea lon chaeha
DeleteJalendhar
ReplyDelete65540
ReplyDeleteHii
Delete65540
ReplyDeletePARIMAL MANDAL
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteHi
ReplyDeleteNeeraj kumar
ReplyDeleteShafiullah kha
ReplyDeleteMy. Lone
Deletegood
ReplyDeleteMy lone
ReplyDeleteXxxx
ReplyDeleteAshfaque
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