छत्तीसगढ़ राज्य के 25 साल बेमिसाल , विकास का डबल इंजन
रजत जयंती वर्ष पर विशेष
रायपुर। ( शगुफ्ता शीरीन) । छत्तीसगढ़ राज्य बने पच्चीस साल बीत गए। एक लंबा अरसा आंखों ही आंखों में निकल गया । राज्य निर्माण के दौरान हर छत्तीसगढ़ी के मन में नए राज्य की खुशियां दिखती थी। लगता था कि अब मध्यप्रदेश से आजादी मिल गई अब खुली हवा में जीने का मौसम आ गया है । राज्य की जनता ने 25 सालों के दौरान दो कांग्रेस और दो भाजपा के मुख्यमंत्रियों का कार्य देखा । प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्य के तीन सालों में प्रशासनिक दक्षता के साथ राजनीतिक कार्य को आगे बढ़ाने की क्षमता दिखी । वही पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह जैसे सौम्य और सुलझे चिकित्सक की देखरेख में प्रदेश का विकास हुआ । पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश की संस्कृति संरक्षण और गौवंश की विरासत को आगे बढ़ाने में अपनी हर कोशिश को आकार दिया । वही अब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की साय साय कार्यप्रणाली से छत्तीसगढ़ी रूबरू हो रहे है। राज्य बनने की प्रशासनिक विधि , मध्यप्रदेश की नीतियां अभी कई मायनों में यहां कॉपी की जा रही है। विरासत में मिली माओवाद की आंधी का भी सरकारों ने मुकाबला किया है । जो अब खात्मे की ओर अग्रसर है। प्राकृतिक संसाधनों से भरे इस प्रदेश में वन्य संपदा भी भरपूर है। मगर कटते वनों के कारण वन्य प्राणी शहरों की ओर रुख करते दिख जाते है । हमारी खुशकिस्मती है कि हम सरप्लस बिजली वाले प्रदेश के निवासी है । अब छत्तीसगढ़ युवा जोश का पुरजोर प्रतीक बन अपनी संघर्ष यात्रा पर इठला रहा है। बड़े बड़े राज्यों में जितना विकास पचास सालों में नहीं पहुंचा वही छत्तीसगढ़ में पच्चीस सालों में काफी काम हुआ है। हर दौर में विकास के मामले में विपक्ष ने भी सत्ता पक्ष का सहयोग किया है। इस बारे में कभी एकतरफा सोच नहीं रही । प्रजातंत्र की एक सुगठित भावना , समन्वित कार्य प्रणाली को मजबूत बना रही है। यह सच है कि यहां कभी भी विरोध कभी विकास के आड़े नहीं आया बल्कि विरोध के जरिए प्रदेश को हरसंभव सशक्त करने की सोच जनप्रतिनिधियों की रही । यही वजह है कि आज छत्तीसगढ़ कई मामलों में बड़े प्रदेशों से आगे निकल गया है। इन सबके बावजूद कई मामलों में हम पहले से कही कमजोर नजर आ रहे है। एन सी सी के कैडेटों को एक कमांड देते है न कि जैसे थे । मतलब जैसे थे उसी मुद्रा में आ जाओ ठीक वैसे ही यहां पर भी एक स्थिति नजर आ रही है वह है शांत प्रदेश में बढ़ती आपराधिक गतिविधियां। साइबर अपराध , महिलाओं के खिलाफ अपराध के साथ ही युवाओं में नशा जनित अपराध , शराबखोरी मारपीट , चाकूबाजी लूट पाट, चोरी हत्या डकैती की घटनाएं लगातार बढ़ते जा रही है।कमजोर पुलिसिंग इसकी पहली वजह है । कहते है न कि जैसे जैसे दवा की मर्ज बढ़ता ही गया । ये कहावत इस पर पूरी तरह फिट बैठ रही है। प्रदेश के बस्तर जैसे इलाके में माओवादी गतिविधियां कम हो रही वही शहरी इलाकों में आपराधिक मामले बढ़ रहे है । यह इस प्रदेश की सेहत के लिए अच्छे लक्षण नहीं है।आम लोगों में पुलिस की छवि भी धूमिल हो रही है।
हाल ही में एक कारोबारी की गाडी से पुलिस कर्मी ने ही दो लाख चुरा लिए। हालांकि बाद में एस पी ने उसे बर्खास्त कर दिया । मगर इससे समाज में मैसेज तो अच्छा नहीं गया । बहरहाल केंद्र और राज्य में समन्वय वाला डबल इंजन ठीक ठाक काम की कोशिशों में लगा है। अपराधी उन कोशिशों में पलीता लगा रहे है।
प्रदेश में कुछ समस्याएं शुरू से लेकर अभी तक जस की तस बनी हुई है उसमें युवाओं में बेरोजगारी प्रमुख है। सरकारें युवाओं को माकूल रोजगार नहीं दे पाई है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी हर जगह समानता नहीं है। कुछ इलाके ऐसे है जहां अभी भी बारिश के दिनों में पुल पुलिया में पानी भरा होने पर लोगों को खटिया में डालकर इलाज कराने ले जाना पड़ता है। इन स्थितियों को ठीक करने की जरूरत है।
यह सच है कि सरकार हर द्वार में आकर तो झांक नहीं सकती सरकारी नुमाइंदे ही सरकार की नीतियों ,योजनाओं को अमलीजामा पहनाते है। उनकी नेक और अच्छी कोशिशें ही राज्य सरकार के कामकाज का आइना बनती है।ईस लिहाज से छत्तीसगढ़ में अच्छी पहल की जरूरत है । हर चीज के दो पहलू होते है अच्छा और बुरा छत्तीसगढ़ में भी यह लागू हो रहा है।। कही सब कुछ अच्छा है तो कही कुछ भी ठीक नहीं है। वैसे अभी विकास का पच्चीस साल का छोटा सफर ही तो तय हुआ है। लंबा रास्ता अभी बाकी है जो कई मुश्किलों से भरा है।मजबूत इच्छा शक्ति , सभी के सहयोग और भरोसे के साथ इस लंबे सफर को पूरा किया जा सकता है। सरकारें आती जाती रहती है। प्रदेश के लोग और यहां का विकास सभी का मुख्य ध्येय होता है। इस लिहाज से डबल इंजन मजबूत पहियों के साथ छत्तीसगढ़ का चौतरफा विकास करने कटिबद्ध है । छत्तीसगढ़ की रजत जयंती की हम सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
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