मौलाना मुफ्ती मोहम्मद अली फारूखी साहब के आखिरी दीदार के लिए उमड़ी भीड़, मदरसे में ही किया गया सुपुर्देखाक
मौलाना मुफ्ती मोहम्मद अली फारूखी साहब के आखिरी दीदार के लिए उमड़ी भीड़, मदरसे में ही किया गया सुपुर्देखाक
रायपुर । शहर काजी मौलाना मुफ्ती मोहम्मद अली फारूकी साहब के अंतिम दीदार के लिए हजारों का जन सैलाब मदरसा इस्लाहुल मुस्लेमीन बैजनाथपारा उनके आखिरी दीदार के लिए पहुंचा । उनके मुरीदों का हुजूम उनके आखरी दर्शन के लिए बेताब दिखाई दिया। वहीं उनके हज़ारों चाहने वाले समर्थकों ने एक साथ उनकी नमाज़ ए जनाज़ा को अदा कर खुद को सौभाग्यशाली बताया। नमाज़ ए जनाज़ा के बाद सबकी सहमति से उन्हें मदरसा इस्लाहुल मुस्लेमीन बैजनाथपारा में ही दफ्न किया गया जहां उनकी दरगाह शरीफ का निर्माण कराया जाएगा। लोगो ने कहा कि हमें लग ही नहीं रहा है कि हमारे पीर साहब अब इस दुनियां में नहीं रहे बल्कि ऐसा लग रहा है कि वह मदरसा इस्लाहुल मुस्लेमीन बैजनाथपारा में ही हयात है और हमारे बीच मौजूद हैं। हम अब हर साल बाबा फारूकी का उर्स पाक मानने इसी तरह से आएंगे और हर साल इसी तरह से यह मजमा उर्स पाक में चार चांद लगाएगा।
बता दें कि हज़रत मोहम्मद अली फारूकी साहब रहमतुल्लाह तआला अलैह सिर्फ काज़ी ए शहर ही नहीं बल्कि शरीयत, मारेफ़त, तरीकत और हकीकत के पाबंद थे। उन्हें किताबें लिखने में भी महारत हासिल थी। उन्होंने अपनी ज़िंदगी में बहुत सी इस्लामी किताबें लिखी है। इतनी बड़ी शख्सियत होने के बावजूद वह गरीब से गरीब मुरीद के घर बुलाने पर बड़ी ही सादगी के साथ पहुंच जाया करते थे। जिसके फल स्वरूप आज हजारों की संख्या में उनके अंतिम दर्शन पाने के लिए लोग उनके दरबार में पहुंचे हुए थे। मोहम्मद अली फारूकी साहब को बहुत से सिलसिलों से खिलाफत हासिल थी। कई वलियों ने उनके सर पर दस्तार बांधी थी। वह बाबा फरीद गंज शकर रहमतुल्लाह तआला अलैह की औलाद में से थे और इस्लाम के दूसरे खलीफा अमीरूल मोमिनिन हज़रत फ़ारूके आज़म ऱदीअल्लाहु तआला अन्हों के खानदान से थे। अब मदरसा इस्लाहुल मुस्लेमीन बैजनाथपारा रायपुर में फारूकी साहब की मज़ारे पाक तामीर की जाएगी जहां हर साल उनके मुरीदों और चाहने वालों का हुजूम नज़र आएगा। क्यों कि यह कोई आम शख्सियत नहीं थी बल्कि अपने वक्त के बड़े आलिमो में से एक थे। इन्होंने अपनी ज़िंदगी में कई वलियों जैसे हुज़ूर सरकारें कलां रहमतुल्लाह तआला अलैह, हुज़ूर ताजुश्शरिया रहमतुल्लाह तआला अलैह, हुज़ूर अमीने शरीयत रहमतुल्लाह तआला अलैह जैसी अज़ीम शख्सियतों के साथ अपना वक्त गुज़ारा था।रूहानी दुनियां में भी उनकी काफी पकड़ मानी जाती थी। आपकी आदतों में एक आदत यह भी थी कि आप हमेशा गौस पाक की तोशा शरीफ की नियाज़ का एहतमाम किया करते थे। आपने कई साल तक कौम की खिदमत को अंजाम दिया। मदरसे में बच्चों को अच्छी से अच्छी दीनी तालीम की तरबियत देते रहे और आज उन्हें उसी मदरसे में दफ्न किया गया, ताकि उनका फ़ैजान हमेशा मदरसे पर बरसता रहे।

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