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*वासना, ईष्या की आँखों से हनुमान जी दिखाई नहीं देते, विचार बदलकर देखो हनुमान जी दिखने लग जाएंगे - पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री

 वासना, ईष्या की आँखों से हनुमान जी दिखाई नहीं देते, विचार बदलकर देखो हनुमान जी दिखने लग जाएंगे -  पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री

हम लोगों के अंदर पाप क्यों आता है जब दूसरों को दूसरा, अपनो को अपना मारे, दुख अपने पन का होता है

 जिसे भाग्य में माता-पिता व गुरु की शक्ति मिल जाए, इससे बड़ा भाग्य क्या हो सकता है

केंद्रीय गृहमंत्री व छग के गृहमंत्री का 2026 तक नक्सलवाद के खात्मे का संकल्प जरुर पूरा होगा

आज़ 12  बजे लगेगा दिव्य दरबार

रायपुर। दही हांडी उत्सव स्थल, अवधपुरी मैदान, श्रीनगर रोड, गुढिय़ारी में 4 से 8 अक्टूबर तक होने वाले श्रीमंत हनुमंत कथा के दूसरे दिन रविवार को छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव, केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू, केंद्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री राजभूषण चौधरी, उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा, वित्त मंत्री ओमप्रकाश चौधरी, छत्तीसगढ़ भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष नंदन जैन, पूर्व गृहमंत्री रामसेवक पैकरा,धमतरी के महापौर जगदीश रामु रोहरा, महिला आयोग सदस्य लक्ष्मी वर्मा, भाजपा प्रदेश मंत्री अमित साहू, जिला अध्यक्ष रमेश ठाकुर, गौरी शंकर श्रीवास एवं आयोजक परिवार के सदस्य श्री लक्खी प्रसाद अग्रवाल, चंदन - बसंत अग्रवाल, श्रीमती रितु - बसंत अग्रवाल बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की आरती में शामिल हुए। श्रद्धालुओं को कथा श्रवण कराते हुए पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि जो माँ-पिता और गुरु को प्रसन्न करें वह भाग्यशाली होता है। जो परिवार और संस्कार को साथ लेकर चले वो भाग्यशाली है, जो निरोगी, प्रसंन्न, सदैव सत्संग के लिए ललायतत रहे, जो सदैव राष्ट्र के लिए चिंतन करें, जो वेद, गीता, गायत्री मंत्र, गोपाल, गाय, गंगा इनकी चर्चा और सम्मान करें, जो संत और भगवंत दोनों का उपासक हो, जो राम और राष्ट्र में भेद न मानकर दोनों के लिए जीवन जीए, जो कथा को जीवन में उतार कर दूसरों के कष्ट मिटाने का संकल्प ले, जो मनुष्य तन पा है और जो कथा में आ गया वो सभी भाग्यशाली है। 

*यूरोपिया कंट्रियां इस समय तनाव में है, तुम भाग्यशाली हो कि ना तुम्हें गोली खाना पढ़ रहा है और ना ही डिप्रेशन में जीना

रामजी जी पेड़ है और माता सीता लता है मैं लक्ष्मण भाग्यशाली हूं कि आप दोनों के क्षत्र छायां पर बैठा हूं इसलिए जो छायां में बैठ रहा है वह भाग्यशाली है। अपने भाग्य की सराहना करो, अपने भाग्य पर इतराओ जो तुम्हें इतना अच्छा परिवार मिला है। अपने भाग्य पर गौरव करो जो ऐसे गुरु मिले, अपने भाग्य को धन्यवाद दो जो तुम्हें ऐसा देश मिला। कई लोग ऐसे है जो बिना गोली खाए चल नहीं पाते, बहुत लोग ऐसे है जो बिना इंजेेक्शन लगाए नहीं चल पाते। बहुत ऐसे पति-पत्नी है जो कोर्ट में खड़े व खड़ी रहती है और हर महीना कोर्ट से पैसा लेती है और मजे कहीं और कर रही है। बहुत से ऐसे पिता है जो बेटों को कर्जा देकर परलोक सीधार गए है। तुम बहुत भाग्यशाली हो जो भारत जैसा देश पाया, दूसरा देश होता तो भसे रहते मायाजाल में। वर्तमान समय में देखें तो यूरोपिया कंट्रियां इस समय तनाव में है, तुम भाग्यशाली हो कि ना तुम्हें गोली खाना पड़ रहा है और ना ही डिप्रेशन में जीना। जिसके भाग्य में माता-पिता, गुरु की शक्ति मिल जाए तो इससे बड़ा भाग्य क्या हो सकता है। 

पद को पा लेना बड़ी बात नहीं है पद पर बैठ करके उस पद का सदुपयोग करना बहुत बड़ी बात है

हमारा मनुष्य तन केवल खाने और सोने के लिए नहीं मिला कुछ करने के लिए मिला है, इस बात का जिसको बोध हो गया वह भी भाग्यशाली है। हम किसी सरकार के सपोर्टक या पोषक नहीं है पर सत्य बोलने वाले है क्योंकि हम साधु है और साधु के लिए सब बराबर है। छत्तीसगढ़ में सभी पार्टी के लोग सत्ता में रहे पर भैय्या छत्तीसगढ़ का जो काला धब्बा था नक्सलाईट कोई खत्म नहीं कर पाया, पर भगवान ने ऐसी कृपा की कि भारत के गृहमंत्री अमित शाह और छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा जिन्होंने प्रण ले लिया कि भारत की सबसे प्रिय प्रदेशों में महतारी के रुप में जिसे पूजा जाता है वह छत्तीसगढ़ है और छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा काला धब्बा वह है नक्सलवाद और उसे 2026 तक खत्म किया जाएगा और हमको प्रसन्नता भी है कि वह आज कथा में भी आए है। आपने जो प्रण लिया उसको करके भी दिखाया, बड़े-बड़े ईनामी नक्सली ढेर हो गए कितनी अच्छी बात है। पद को पा लेना बड़ी बात नहीं है पद पर बैठ करके उस पद का सदुपयोग करना बहुत बड़ी बात है। इससे छत्तीसगढ़ की जो गति है उस गति को और चार-चांद लेंगे और छत्तीसगढ़ इसी तरह पूरे देश में आगे बढ़ता जाएगा। 

जिन-जिन को मनुष्य तन मिला है वह भगवान की भक्ति करके उसे प्राप्त करें

वैसे ही आपको मनुष्य तन मिला है उस मनुष्य तन को पाकर भैय्या केवल खाने-पीने में मत गुजार देना एक काम करना खाते-पीते तो बहुत हो इसलिए हम में और पशुओं में कोई अंतर नहीं रह जाएगा और टपक जाए...। पशु कुछ सत्कर्म नहीं कर सकते, कुछ विचार नहीं कर सकते, राष्ट्र का भला नहीं कर सकते उसी प्रकार यदि हम भी राष्ट्र का भला नहीं कर पाए, हम भी सदविचार ना ले पाए, भगवान का भजन नहीं कर पाए तो हम लोगों और पशुओं में कोई अंतर नहीं रह जाएगा। इसका उपाय यह है कि जिन-जिन को मनुष्य तन मिला है वह भगवान की भक्ति करके उसको प्राप्त कर लिया। भगवान तो वैसे सब जगह है पर तीन-चार जगह है जहां पर वह आसानी से मिल जाएंगे। पहली जगह - हनुमान जी, जहां-जहां राम जी की कथा होगी वहां हनुमान जी आ जाते है। जिन आँखों में वासना और ईष्या को देखते हो उन आँखों से हनुमान जी दिखाई नहीं देते है इसलिए तुम्हें आँखें बदलने की जरुरत नहीं है, बस अपना विचार बदल लो। जब तक हनुमान जी तो अपने हृदय में नहीं बसाओगे तब तक वे अपने संकटों को दूर नहीं करेंगे क्योंकि हनुमान जी से भूत - प्रेम तक डरते है तो आप तो मनुष्य है। हनुमान जी को दिल में प्रकट करने के लिए हमें उन्हें अपने चित में बसाना होगा। 

अंतर आत्मा में भेद खत्म हो जाएगा तो राम तुम्हारें अंदर भी आ जाएगा

जब हम सब में राम बस जाएंगे तो भेद-भाव नहीं होगा, आदमी पड़ोसियों के सुख को देखकर ज्यादा हैरान रहता है। सब में भगवान है, जब आपके अंतर आत्मा में भेद खत्म हो जाएगा तो जो राम हमारे अंदर है वह राम तुम्हारें अंदर भी आ जाएगा। हम लोगों के अंदर पाप क्यों आता है जब दूसरों को दूसरा, अपनो को अपना मारे, दुख अपने पन का होता है। अंदर जलन नहीं धन्यवाद की भावना उत्पन्न होनी चाहिए कि भगवान ने बड़ी कृपा की कि हमारे लड़के की नौकरी लग जाएगी और कम से कम पड़ोसी के लड़कों को ऑफिसर बना दें। 

दूसरों को प्रसन्न करना और दूसरों को देखना, यही जीना है

हम लोग रोज चाय पीते हुए अखबार पढ़ते है जिसमें कभी लिखा होता है कि 30 मर गए, हम लोग कहते है कि अखबार वाले लोग झूठी खबर छापते है, 35 मरे होंगे, लाओ जरा बिस्कूट ले आओ। अगर इस बीच किसी अपने का नाम आ जाए तो चाय छूट जाएगी। इससे सिद्ध होता है कि मरने का जितना दुख नहीं होता है उससे ज्यादा अपनो के मरने का दुख होता है कि वह अपना है। अब इस संसार में हम सब को अपना मान लें तो दुख भी रहेगा और सुख भी, दूसरों को दुखी देखकर तुम भी दुखी होगे और दूसरों का सुख देखकर तुम भी खुश रहोगे। अगर ऐसा तुम अपने जीवन में उतार लोगे तो हमें लगेगा की तुम कभी दुखी नहीं रहोगे। जीना क्या है - दूसरों को प्रसन्न करना और दूसरों को देखना, यही जीना है, बोलो सीता राम..।

कथा कैसे सुने

श्री कुलशेखर जी का चरित्र है भक्तमाल- केरल में एक जगह है कोल्ली नगर यहां एक बड़े धर्मात्मा राजा थे जो निश्चित ही धर्मात्मा रहे होंगे। हम लोग बच्चों को कहकर समझाते है इसलिए बच्चे समझते नहीं है एक भी प्रतिशत। कहकर नहीं अगर करके समझाए तो बच्चे 100 प्रतिशत समझ जाएंगे। अगर हम कहें बेटा गुटखा नहीं खाना इससे कैंसर हो जाता है और उसके सामने ही वह तंबाखू खा रहा है तो बेटा मन ही मन कहता है खुद ही भोक रहे हो और हम को कह रहे हो कैंसर हो जाएगा। गुरु को प्रमाण कैसे करना चाहिए, भगवान के मंदिर कैसे जाना चाहिए, ऐसे कपड़े पहना चाहिए यदि आप यह करके दिखाओगे तो आपका बालक के चित में यह बात चिपक जाएगी और आपका बालक समझ जाएगा। पिता के धर्म से पुत्रों की वृद्धि होती है। कोल्ली नगर के राजा की एक भी संतान नहीं थी, इन्होंने नारायण का व्रत किया और नारायण की कृपया से द्वादशी के दिन एक बड़े तेजस्वी बालक ने जन्म लिया और राजा के मृत्यु के बाद जब वह राजा बना तो बड़ा धर्मात्मा बना और नित भगवान का पूजन-पाठ करता था। जब राजा धर्मात्मा होता है तो प्रजा भी धर्मात्मा हो जाती है। यदि राजा धर्मात्मा नहीं है तो प्रजा के अंदर भी वही विचार आता है। भले ही कई बार संगति में बालक या बालिका बिगड़ जाए लेकिन उसके मूल में वह धर्म होगा जो उसके माता-पिता ने उसे बचपन में दिया था तो वह अपने मूल धर्म में वापस जरुर आ जाएगा।

कुलशेखर को पंडितजी रामकथा सुनाते-सुनाते कहा प्रभू राम धर्मात्मा अकेले है और रामजी से लडऩे के लिए 14 हजार राक्षस आ गए, वह इतने विलीन हो गए कि वह भूल गए कि वह कथा में बैठे हुए है और तुरंत ही सेनापति को बुलाकर कहा कि रामजी अकेले युद्ध करने जा रहे है हम अपनी पूरी सेना वहां युद्ध करने के लिए जाएगी। तब पंडित जी ने कहा कि भगवान राम ने एक-एक करके सभी राक्षसों को मार गिराया है, वैसे ही कुलशेखर ने सेनापति को बुलाकर कहा कि सेना को वापस दरबार के अंदर में भेज दो। जब तक आप कथा में पूर्णंतंलिन, पूर्ण मन लगाकर कथा में नहीं बैठोगे तब तक आपके जीवन में कभी बदलाव नहीं हो सकता। यदि आप अपने जीवन में बदलाव चाहते है तो कथा को पूर्णतनलिनता से सुनो, और जो सुनो उसे उतार करके जाओ हम कहते है आपके जीवन में जिस दिन कथा आपके चित में बैठने लगेगी उसी दिन से तुम्हारा जीवन बदलने लगेगा। 

कथा सुनने के तीन मूल नियम है

पहला नियम है कथा प्रारंभ होने से पूर्व बैठ जाए, दूसरा नियम है बहुत सावधान होकर सुने क्योंकि कौन सी बात तुम्हारें चित में बैठकर चोट कर जाए और कौन सी बात तुम्हारा हृदय परिवर्तन कर दें। तीसरा नियम रसीक बनकर कथा में बैठे, जब तक कथा पूरी ना हो जाए तब तक भाव पूर्वक बैठकर कथा को सुने। रसीक का मतलब जैसे गाना गाने वाले को अपना गाना प्रिय होता है, जैसे घोड़ा चलाने वाले को घोड़ा प्रिय होता है जैसे वासना की बात करने वाले को वासना की बातें प्रिय होती है, जैसे राजनीति व्यक्ति को राजनीति की बात प्रिय लगती है, जैसे साधु नीति की बातों को साधुओं को प्रिय लगती है वैसे ही कथा श्रोता को केवल कथा ही प्रिय लगनी चाहिए। इस भाव से यदि कथा सुनोगे तो पक्का है आपको कथा का फल भी मिलेगा और कथा के सत्संग के प्रभाव से कथा में मिलेंगे संत। 

कथा में पधारे हनुमान जी महाराज

दूसरे दिन की कथा समाप्त से पहले कथा स्थल पर बाल स्वरुप में हनुमान जी पधारे तो कथा श्रवण करने पहुंचे सभी श्रद्धालु हनुमान के भजन में झूमने लगे क्योंकि कथा स्थल पर हनुमान का जन्मोत्सव मनाया। लोग ताली बजाकर बाल हनुमान को बधाई दे रहे थे। केसरी के लाल मेरा छोटा सा लाल भजन पर पूरा अवधपुरी मैदान झूम उठा। कल दस महाविद्यालय पर चर्चा करेंगे आज हनुमान जी प्रकट हो गए यही बहुत बड़ी बात है। 

आज दोपहर 12 बजे लगेगा बालाजी सरकार का दिव्य दरबार*

समाजसेवी व मुख्य यजमान बसंत अग्रवाल ने बताया कि 6 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक दही हांडी उत्सव स्थल, अवधपुरी मैदान, श्रीनगर रोड, गुढिय़ारी में बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का दिव्य दरबार लगेगा जहां वे लोगों की समस्याओं का निवारण करेंगे। इस दिन दिन कथा दोपहर को 3.30 बजे प्रारंभ होगी और शाम को 6.30 बजे समाप्त होगा। वहीं 7 अक्टूबर को सुबह 9 बजे बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री दीक्षा देंगे। 

इसमें कोई संशय नहीं कि सयम सीमा के अंदर समाप्त होगा नक्सलवाद - गृहमंत्री शर्मा

उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसा अद्भूत हनुमंत कथा सौभाग्य से प्राप्त होता है और बागेश्वर धाम से स्वयं चलकर बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री हम सबके बीच यहां आते है तभी यह संभव हो पाता है। हजारों-लाखों की संख्या में रोजाना लोग कथा श्रवण करने के लिए आते है और आप अपने कथाओं के साथ सामाजिक कुरुतियों के प्रति प्रहार हर करते है। समाज की आवश्यकता के अनुसार जागरण का सारा काम आप करते है। आज ही कथा की बात करें तो आज आपने छत्तीसगढ़ में होने वाली परेशानियों को ध्यान में रखते हुए नक्सलवाद के विषय पर कहा और आपकी की प्रेरणा और ताकत है, बजरंग बली की प्रेरणा और उनका आर्शीवाद है कि उनके चरणों के ताकत से ही छत्तीसगढ़ में समय सीमा पर नक्सलवाद सशक्त समय सीमा पर समाप्त होकर रहेगा, उसमें कहीं किसी को संशय नहीं है।

पूज्यनीय महाराज जी ने दूसरे एक विषय पर और कहा कि दुर्गा जी स्थापना के बाद और पूर्व में ऐसे ही रामलीला के मंचन के समय पर किस तरह से हमको हमारी पुरातन और सनातन परंपराओं के साथ ही इन बातों का आयोजन करना चाहिए और यह बहुत ही आवश्यक विषय है समाज के लिए। महाराज श्री से निवेदन करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि गुढिय़ारी का यह वही स्थान है जहां पर आपने सारे शंकाओं, कुशंकाओं को ध्वस्त करते हुए भगवान के उस लीला को स्थापित किया था और गुढिय़ारी वाले हनुमान जी कृपा सारे ही लोगों पर बनी रहे और साथ ही साथ छत्तीसगढ़ में आपका बार-बार आगमन शीघ्र - अतिशीघ्र होता रहे क्योंकि छत्तीसगढ़ में विभिन्न समस्याएं और भी है जिस पर जन-जागरण आवश्यकता है जिस पर आपके द्वारा दिए गए जागरण ही सबके काम आ जाता है, वह घूसपैठ का विषय हो, धर्मांतरण का विषय हो इन सारे ही विषयों पर काम करने की आवश्यकता है। आपका मार्गदर्शन और आर्शीवाद सदैव मिलता रहे। समाजसेवी बसंत अग्रवाल जी ने बहुत ही सुंदर ढंग से अपने साथियों के साथ मिलकर जो आयोजन किया है उसके लिए बसंत अग्रवाल और उनकी टीम को बधाई और शुभकामनाएं देते है। शीघ्र ही कवर्धा का कार्यक्रम बने पूज्य महाराजश्री से यही प्रार्थना किया। 

शाम की आरती में ये हुए शामिल

कथा समाप्ति के बाद आरती में उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा, धमतरी के महापौर रामू जी रोहरा, चंदन - बसंत अग्रवाल, श्रीमती रितु - बसंत अग्रवाल, आनंद बिल्डर्स की पूरी टीम के अलावा अन्य गणमान्य नागरिकजन शामिल है।

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