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छत्तीसगढ़ में वैज्ञानिक खेती की ओर कदम: विकसित कृषि संकल्प अभियान में

 छत्तीसगढ़ में वैज्ञानिक खेती की ओर कदम: विकसित कृषि संकल्प अभियान मेंआईसीएआर-एनआईबीएसएम की अग्रणी भूमिका , किसानों तक पहुँची विज्ञान-आधारित खेती

आईसीएआर-एनआईबीएसएम ने 10 जिलों में 4100+ किसानों से किया संवाद

रायपुर । प्राकृतिक खेती और प्रत्यक्ष बुवाई विधि तकनीक को बढ़ावा: आईसीएआर-एनआईबीएसएम का गाँव-गाँव अभियान छत्तीसगढ़ में जारी कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा शुरू किए गए विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत आईसीएआर-राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान (NIBSM), रायपुर ने छत्तीसगढ़ में किसानों के बीच वैज्ञानिक और टिकाऊ कृषि तकनीकों के प्रचार-प्रसार हेतु एक महत्वपूर्ण पहल की है। 29 मई से 3 जून 2025 तक संस्थान द्वारा राज्य के विभिन्न जिलों में सघन ग्रामीण संपर्क कार्यक्रम चलाया गया।संस्थान के 20 वैज्ञानिकों की टीम ने 10 जिलों के 25 विकासखण्डों में फैले 49 गांवों का दौरा किया और प्रत्यक्ष रूप से 4,100 से अधिक किसानों से संवाद किया। यह अभियान 25 कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) और राज्य कृषि विभाग के सहयोग से संचालित किया गया। वैज्ञानिकों ने किसानों को जैविक स्ट्रेस प्रबंधन, बीज उपचार, मृदा परीक्षण, जैव उर्वरकों, जैव कीटनाशकों और जैव नियंत्रण एजेंटों के उपयोग जैसी तकनीकों पर प्रशिक्षण दिया।दौरे के दौरान किसानों को उन्नत किस्मों के चयन, धान में एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM), प्राकृतिक खेती को अपनाने तथा मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन की विधियों के बारे में जागरूक किया गया। विशेष रूप से प्रत्यक्ष बुवाई विधि (Direct Seeded Rice - DSR) को लेकर किसानों में उत्साह देखा गया, क्योंकि यह तकनीक पानी की बचत के साथ-साथ लागत कम कर उत्पादन बढ़ाने में सहायक है।आईसीएआर-एनआईबीएसएम के वैज्ञानिकों ने वन हेल्थ (One Health) दृष्टिकोण के अंतर्गत एंटीबायोटिक के विवेकपूर्ण उपयोग के प्रति भी किसानों को जागरूक किया, जिससे मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य की रक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसके अलावा, केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी भी किसानों को दी गई, ताकि वे बीज, बीमा, उपकरण और कृषि अवसंरचना से जुड़ी सहायता का लाभ उठा सकें।इन कार्यक्रमों के माध्यम से न केवल किसानों को तकनीकी जानकारी दी गई, बल्कि वैज्ञानिकों ने जमीनी स्तर पर मौजूद चुनौतियों को भी समझा। संस्थान द्वारा आगे के लिए कुछ प्रमुख कार्यक्षेत्र चिह्नित किए गए हैं, जिनमें उच्च गुणवत्ता वाले बीजों के प्रचार-प्रसार, संतुलित उर्वरक एवं कीटनाशी उपयोग को बढ़ावा देना, योजनाओं की अंतिम छोर तक जानकारी पहुंचाना और डीएसआर तकनीक तथा यंत्रों को व्यापक रूप से अपनाने को प्रोत्साहित करना शामिल है।एक प्रेस वार्ता में डॉ. पी.के. राय, निदेशक, आईसीएआर-एनआईबीएसएम, रायपुर ने संस्थान की टीम के प्रयासों की सराहना की और किसानों के साथ दो-तरफा संवाद को आवश्यक बताया, जिससे अनुसंधान कार्य सीधे किसानों की ज़रूरतों से जुड़ सकें। उन्होंने मीडिया से अनुरोध किया कि अभियान की गतिविधियों को व्यापक रूप से प्रकाशित किया जाए, ताकि अधिक से अधिक किसान इससे लाभान्वित हो सकें। उन्होंने कहा, "विज्ञान-आधारित समाधान और समन्वित प्रयासों के साथ हम किसानों की आय बढ़ाने, लागत घटाने और जीवन की गुणवत्ता बेहतर बनाने में सफल हो सकते हैं।"इस प्रेस वार्ता में संस्थान के सभी वैज्ञानिक उपस्थित थे, जिनमें डॉ. ए. अमरेंद्र रेड्डी, संयुक्त निदेशक (नीति समर्थन अनुसंधान) एवं प्रचार अधिकारी, तथा डॉ. मुवेंथन, प्रचार समिति के सदस्य प्रमुख रूप से शामिल थे। पूरी टीम ने अभियान को छत्तीसगढ़ के हर कोने तक पहुँचाने और ‘विकसित कृषि’ के माध्यम से ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को साकार करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

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