Skip to main content

BREAKING NEWS

CLICK HERE Talks with China held in 'cordial and peaceful' atmosphere: MEA

मौलवी मुहम्मद बाकर भारत के पहले पत्रकार, जिन्हें अंग्रेजों ने तोप से उड़वा दिया!!

 मौलवी मुहम्मद बाकर भारत के पहले पत्रकार, जिन्हें अंग्रेजों ने तोप से उड़वा दिया

Journalist Maulvi Muhammad Baqir
                                                       मौलवी मुहम्मद बाकिर.

द लीडर : “ये मौका मत गंवाओ, चूक गए तो फिर कोई मदद को नहीं आएगा. अंग्रेजी हुकूमत से छुटकारा पाने का ये शानदार मौका है.” पत्रकार मौलवी मुहम्मद बाकर ने 4 जून 1857 को अपने अखबार में इस शीर्षक से लेख छापा था. वह हिंदू-मुसलमानों में जोश पैदा करके ब्रिटिश शासन के खिलाफ जंग को मजबूत करना चाहते थे. अंग्रेज उनकी क्रांतिकारी लेखनी से घबरा गए. इस कदर कि 14 सितंबर को उन्हें गिरफ्तार कर लिया. और 16 सितंबर 1857 को मौलवी मुहम्मद बाकर को तोप के आगे बांधकर उड़वा दिया. आजादी के इतिहास में शहादत देने वाले मौलवी मुहम्मद बाकर पहले पत्रकार हैं. (Journalist Maulvi Muhammad Baqir)

आज उनके इंतकाल की तारीख है. मौलवी मुहम्मद बाकर 1780 को दिल्ली में पैदा हुए थे. शुरु में दिल्ली कॉलेज में पढ़ाया. ब्रिटिश सरकार के साथ भी काम किया. चूंकि साहित्य और पत्रकारिता में गहरी दिलचस्पी थी. इसी बीच 1834 में सरकार ने प्रेस एक्ट में संशोधन करके अखबार निकालने की इजाजत दे दी. तब 1837 में मौलवी बाकिर ने एक प्रेस खरीदकर दिल्ली से ही ‘दिल्ली उर्दू अखबार’ निकालना शुरू कर दिया.

वरिष्ठ पत्रकार रहे गुरबचन डी चंदन ने अपने एक बयान में कहा है कि उर्दू पत्रकारिता ने आजादी की लड़ाई में देश को एकजुट करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि 1857 के विद्रोह की जमीन ही उर्दू पत्रकारिता ने तैयार की थी

10 मई, 1857 को स्वतंत्रता संग्राम छिड़ गया. मौलवी बाकर उसकी अगली पंक्ति में खड़े थे. उन्होंने खुद को और अपने अखबार, दोनों को आजादी के लिए समर्पित कर दिया. (Journalist Maulvi Muhammad Baqir)

उन्होंने अकेले ही संपादक के साथ रिपोर्टर का भी काम किया. चूंकि मौलवी बाकिर, मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के दरबारी और मिर्जा गालिब के प्रतिद्वंद्वी इब्राहीम जौक के करीबी थे. इस तरह वह बहादुर शाह जफर के भी वफादार सहायक रहे. जो 1857 के गदर का नेतृत्व कर रहे थे.

मौलवी बाकर अपने क्रांतिकारी लेखों से देशवासियों में जोश जगाते रहे. गदर के दौरान उनकी कलम की धार लगातार तेज होती गई. जिससे अंग्रेज अफसर बेचैन हो उठे. मुहम्मद बाकिर ने 12 जुलाई 1857 को अपने अखबार का नाम बदलकर अखबार-उज-जफर रख लिया.

इससे वह अंग्रेजों की आंखों में तेजी से खटकने लगे. सितंबर में उन्हें गिरफ्तार करके, बिना किसी ट्रायल के 16 सितंबर को तोप से उड़वा दिया गया. पत्रकारिता और आजादी के लिए कुर्बान होने वाले मौलवी मुहम्मद बाकर को इतिहास में वो मुकाम नहीं मिल पाया. जिसके वह वास्तविक हकदार हैं.

आज पत्रकारिता की जो हालत है. दिनरात टीवी चैनल और दूसरे माध्यम सांप्रदायिक बंटवारे की साम्रग्री परोसते रहते हैं. ऐसे माहौल में पत्रकारिता के छात्रों के लिए मौलवी बाकर जैसे जांबाज पत्रकारों के बारे में जानना जरूरी हो जाता है. जो निडर होकर अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ अपनी कलम थामकर खड़े रहे. (Journalist Maulvi Muhammad Baqir)

 

Comments

CLICK HERE Nitish Kumar's Stand On Citizens' List? Government Order Gives A Clue

Popural Posts Click must.

मुखिया चुनाव 2016 रिजल्ट कैसे चेक करें। फिर अपनी तैयारी करें, Bihar Panchayat Election 2021....

Breaking: ब्रिटेन में अवैध रूप से रह रहे भारतीयों को वापस भेजना चाहते हैं बोरिस जॉनसन!

Bihar Student Credit Card Scheme Status Online Apply 2020: Must Read Now

फेसबुक पर हुई दोस्ती और मिनटों में शुरू हो गई अश्लीलता, अब युवक का वीडियो बनाकर धमकी दे रही युवती।

Breaking: शादी के दौरान जैसे ही दूल्हे ने दुल्हन को पहनाया जयमाला तो जीजा ने मा’र दी गो’ली, दूल्हे की हुई मौ’त.

Sitamarhi बाजपट्टी थाना क्षेत्र के बररी फुलवरिया से लावारिश पल्सर मिलने पर इलाके में सनसनी फैल गई और काफ़ी

रुन्नी सैदपुर सड़क दुर्घटना में एक युवक की दर्दनाक मौत, दूसरा की हालत गंभीर।

Breaking:- राम दौन हाई स्कूल, मोड़संड, रुन्नी सैदपुर के नवनिर्मित भवन के छत पर मिली लावारिश लाश....