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झारखंडी युवा ने सरकार के विरुद्ध खोला मोर्चा। युवा मांगें रोजगार।।

 झारखंडी युवा ने सरकार के विरुद्ध खोला मोर्चा। युवा मांगें रोजगार।।

 


झारखण्ड गठन के 21 वर्ष पूरे हो चुके हैं । इन 21 वर्षों में इस राज्य ने 9 राज्यपाल, 11 मुख्यमंत्री और 3 बार राष्ट्रपति शासन देखा । लेकिन  राज्य का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया । सरकार चाहे जिस पार्टी की भी क्यों न रही हो सत्ता और सिस्टम में बैठे लोग 

अपना उल्लू सीधा कर ही लेते हैं। अगर कोई उपेक्षित है तो बेशक वह यहां की भोली भाली जनता है।

          29 दिसंबर 2021 को वर्तमान में सत्त्तारुढ़ हेमंत  सोरेन की सरकार भी अपनी दूसरी वर्षगांठ धुमधाम से मनाई। प्रत्येक सरकार की भांति यह सरकार भी अपनी आधी - अधूरी उपलब्धियां गिनाने के लिए आतुर दिखी। लेकिन, जमीनी हकीकत  कुछ और बयां करती है। अभी भी यह राज्य शिक्षा , स्वास्थ्य , रोज़गार और बुनियादी ढांचे के मामले में फिसड्डी है। 2011 जनगणना के अनुसार राज्य की साक्षरता दर मात्र 66.40% है। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह दर 74.0% है। झारखण्ड के साथ अस्तित्व में आए दो अन्य राज्य छत्तीसगढ़ एवं उत्तराखण्ड की तुलना  झारखण्ड से की जाए तो आंकड़े शर्मशार करने वाली है। एक तरफ जहां छत्तीसगढ़ में साक्षरता दर 70.28% ,उत्तराखण्ड में 79.83%

 है वहीं दूसरी तरफ 66.40% साक्षरता दर के साथ  झारखण्ड पूरे देश में 31वें  पायदान पर  खड़ा है। स्वास्थ्य सुविधा के मामले में स्थिति बद से बदत्तर है। झारखण्ड में चिकित्सा महाविद्यालयों की संख्या मात्र 07 है । लेकिन छत्तीसगढ़ में मेडिकल  कॉलेजों की संख्या 10 है। मात्र 1.01 करोड़ की जनसंख्या वाले उत्तराखण्ड में भी 06 मेडिकल कॉलेज हैं जबकि यहां की जनसंख्या झारखण्ड की तुलना  में 3 गुणा से भी कम है। 

            जहां तक  रोज़गार का सवाल है तो ये बात जगजाहिर है कि यहां के

लाखों लोग महानगरों  एवं अन्य विकसित  राज्यों में मजदूरी करने के

लिए विवश  हैं। लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की हृदयस्पर्शी पीड़ा 

उभर कर सामने आई थी।  यहां के शिक्षित युवा तो बदहाली में अपने दिन गुजार रहे हैं। सरकार द्वारा घोषित नियुक्ति वर्ष 2021 यूँही निकल गया । यहां तक की पहले से प्रक्रियाधीन कुछ  नियुक्तियां जैसे कार वाहन चालक, उत्पाद सिपाही,  ए . एन . एम . एवं विशेष शाखा आरक्षी  प्रतियोगीता परीक्षाओं  को रद्द कर दिया गया है। हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा माननीय उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन  है। पंचायत सचिव प्रतियोगिता  परीक्षा का अंतिम रिजल्ट भी लंबित है। हाल ही में संपन्न हुए  7 वीं - 10 वीं जे . पी. एस . सी . प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट भी विवादों में है । इसे लेकर राज्य के हजारों छात्र आंदोलनरत हैं। जे . एस . एस . सी . द्वारा झारखण्ड सामान्य स्नातक  योग्यताधारी संयुक्त

प्रतियोगिता परीक्षा - 2021 का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है।

लेकिन  छात्रों को कई बिंदुओं को  लेकर इस विज्ञापन पर भी आपत्ति है।

          ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है की स्वर्णिम भविष्य का सपना संजोए यहां के योग्य छात्रों को न्याय कैसे मिलेगा। आज के युवा ही कल के

भविष्य  हैं। रोज़गार के मुद्दे  पर सरकार को संवेदनशील रुख अख्तियार करने जरूरत है। नियुक्ति 

नियमावली ऐसा हो जिसे लेकर न्यायालय की चौखट तक जाने की नौबत ही ना आए । यकीन मानिए  ये काबिल युवा राज्य के विकास में अपना अहम योगदान  देंगे।

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